प्रिय पाठक गण,
सादर नमन,
आप सभी को मंगल प्रणाम, आज प्रवाह में हम बात करेंगे,
जो नवजागरण पर, वर्तमान समय बड़ा ही अद्भुत समय है,
यह समय भारतीय इतिहास में एक ऐसे नवजागरण की स्थापना
करने वाला है, जो कि अपने आप में एक उदाहरण होगा, मूल रूप से यह समय भारत के पुनर्गठन का समय है, इस बात की भूमिका भीतर ही भीतर स्वयं लिखी जा चुकी है, व कई मामलों में
यह समय ऐतिहासिक होगी, समय पर वह कार्य घटेगा ही, नव जागरण मूल्यों की पुनः प्रतिस्थापना का समय है, कई मायनों में स्थिति भीतर ही भीतर विस्फोटक हो चुकी है।
वर्तमान समय में जो कथनी व करनी में अंतर समाज में है, वह हमारे मन में विचलन पैदा करता है, अगर संपूर्ण समाज में परिवर्तन करना है, तो हमें नैतिक मूल्यों की स्थापना अनिवार्य रूप से नई पीढ़ी में करनी होगी और यह कार्य जब उनका बचपन होता है, तभी उनके मानस मन में इसकी नी रख दी जाना चाहिये, क्योंकि शैशव काल में ही परिवार व समाज में जो वातावरण होता है, वह अगर हम इस प्रकार का प्रदान करें, जो सामाजिक मूल्यों को बढ़ावा देने वाला हो तो समाज में एक सुखद बदलाव आयेगा।
वर्तमान समय मैं जब हमारे युवा पीढ़ी इस देश के राजनीतिक नेतृत्व की ओर देखती है, तो कई प्रकार के विरोधाभास उसे देखने को मिलते हैं, जैसे कोई चरित्रहीन व्यक्ति
इसका आचरण समाज के मापदंडों के अनुकूल नहीं होता , उसके बाद भी वह सामाजिक प्रतिष्ठा पाने लगता है, तो स्वाभाविक रूप से समाज में एक नैतिक क्षरण होने लगता है।
दुर्भाग्य से कुछ राजनेता धर्मगुरु भी ऐसे भी हैं, जिनकी नीति व नियत सही नहीं होती है, पर वे भी अपने पाखंड पूर्ण आचरण द्वारा सामाजिक प्रतिष्ठा को प्राप्त कर लेते हैं।
सभी राजनेता व धर्मगुरु ऐसे हैं, ऐसा मेरा कहना नहीं है, पर सामाजिक मापदंडों में जिस तेजी से केवल धन व भौतिक साधनों के प्रति लालसा बड़ी है, केवल छद्म आवरण वाले व्यक्तियों का महिमामंडन होने लगता है, जिनके आचरण सामाजिक मर्यादाओं के विपरीत है, ऐसे लोगों की मानो बाढ सी आ गई है।
तब ऐसे समय हमें ऐसे व्यक्तियों की पहचान करनी होगी,
जिनके आचरण में एक नैतिक साम्यता हो, जो सामाजिक मर्यादाओं के अनुकूल हो।
घर में बुजुर्गों का यह यथोचित सम्मान, बराबरी वालों से सहयोग वह उम्र में जो अपने से कम है, उन्हें पर्याप्त स्नेह प्राप्त हो, ऐसे परिवार जहां भी होंगे, वे अपने परिवार को तो एकजुट रखेंगे ही, समाज में अच्छी ही बातों की प्रतिस्थापना करेंगे, इस प्रकार दोहरा लाभ परिवार व समाज दोनो को ही प्राप्त होगा।
ऐसे परिवार में से जब कोई नेता , ऑफिसर व अन्य कोई भी कार्य करेगा, नैतिक गुना से युक्त होने पर वह समाज और परिवार में एक अच्छे वातावरण का निर्माण करेगा, जो कि वर्तमान समय की सबसे बड़ी आवश्यकता है। यह समय नव जागरण का समय है, हमें देश की नई पीढ़ी को नैतिक मूल्यों का पाठ पढ़ाने से पहलेनं उसे अपने जीवन में दृढ़ता पूर्वक उतारना होगा, तब ही समझ में परिवर्तन संभव है।
आईये, हम सभी अपने देश के इस नवजागरण के अनूठे यज्ञ में अपनी सहभागिता प्रदान करें व भारतीय संस्कृति के मूलभूत सिद्धांतों को स्वयं भी अपनाये वह परिवार व समाज में इसका प्रचार प्रसार भी करें।
सज्जन जहां-जहां पर पूर्ण रूप से संगठित होते हैं, वहां पर दुर्जन स्वाशंध् भी परास्त होते जाते हैं। मूल्य की स्थापना पहले स्वय में,
फिर क्रमशः परिवार ,गली ,मोहल्ला, नगर , जिला ,इस प्रकार से करें।
देश इस नवजागरण का शंखनाद कर चका है, आइये अपने हिस्से की आहुति भी इसमें दें
आपका अपना
सुनील शर्मा
जय हिंद।
जय भारत।
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