धधक रही है सीने में आग कोई ,
बह रहा है लावा भीतर ही भीतर गहरे कही मन में,
डर है कही ये ज्वालामुखी फट ना जाए ,
क्योंकि अगर ये ज्वालामुखी फट गया ,
तो निश्चित ही तबाही तो लाएगा,तो निश्चित ही तबाही तो लाएगा,
पर संतोष इस बात का है कि विचारों से शून्य बंजर धरती पर,
विचारों की हरित क्रांति के बीज बो जाएगा,विचारों की हरित क्रांति के बीज बो जाएगा।
क्योंकि मशहूर है ,ज्वालामुखी जब फटता है ,
तो तबाही लाता है किंतु ज्वालामुखी से निकलता लावा ,
बंजर भूमि को उपजाऊ बना जाता है,बंजर भूमि को उपजाऊ बना जाता है।
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