अंतर्प्रेरणा

प्रिय पाठक  तुरंत, जैसे जैसे आप मेरे लेख पढ़ेंगे, मैं आपको कोई नई सामग्री जो आपके व्यक्तित्व को, आपके जीवन को एक सुंदरता प्रदान करें, उसमें एक ऐसा सुंदर प्रवाह पैदा हो सके। जिसकी निरंतरता बढ़ती रहे, आपकी जीवन यात्रा मंगलमय भावों व विचारों से परिपूर्ण हो आपका व परिवार का मंगल कर सके।  इन्हीं भावो से प्रेरित होकरअंतर प्रेरणा से यह सभी लेख लिख पा रहा हूं।


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जब मैं इन लेखों को शब्द प्रदान कर रहा होता  हूं, मेरे मानस में केवल एक विचार ही पूर्ण शक्ति से क्रियान्वित होता है कि जितने भी पाठक इन लेखकों  पड़े वे अपनी चेतना को जागृत कर सके।  और अगर चेतना जागृत है तो उसे और परिष्कृत कर सकें, क्योंकि मानवीय चेतना जितनी अधिक परिष्कृत होती है, उतना ही मानवीय मूल्यों को सहेजकर रखने का प्रयास करती है।

दो शब्द युवा  पीढ़ी से, जो अपने भविष्य को लेकर अत्यंत सजग हैं, बुद्धिमान है, अपनी राह बनाने के लिए समर्पित है, उन्हें अपने जीवन में आगे अवश्य बढ़ना चाहिए, नई सोच को अपनाना आज के समय की मांग है।  परंतु उनसे मेरा विनम्र निवेदन है अपनी भारतीय परंपराओं का समुचित आदर अवश्य करें, चाहे वह जींस-पेंट-शर्ट पहने। आवश्यकता के अनुरूप, परिवेश के अनुरूप वस्त्र अवश्य पहने परंतु भारतीय उच्च मूल्यों की परंपरा को ना छोड़े।

स्वयं की उन्नति के साथ, परिवार व समाज की उन्नति की दिशा में जो भी प्रयास उनसे हो, अवश्य करें।  जिस प्रकार मैंने वैचारिक लेखन का माध्यम आप सबसे जुड़ने के लिए चुना, क्योंकि बुजुर्ग, युवा, किशोर व सभी के मन में, मानस में अपनी अपनी विचार श्रंखला चलती रहती है।

सब अपने अपने स्तर पर सोचते व विचारते हैं। पीढ़ियों के बीच में वैचारिक परिवर्तन होता ही है,  पर उचित संवाद व समझ बूझ से इसे दिशा प्रदान करना, हमारा, आपका सबका राष्ट्रीय दायित्व भी है।  केवल अधिकार ही नहीं वरन कर्तव्यों को लेकर भी सजग रहे।

अंतर प्रेरणा के द्वारा यह शब्द निकल रहे हैं, आशा है दिल से किए गए इस प्रयास को आप अवश्य आशीर्वाद देंगे, व इन सभी लेखों के पीछे छिपी मेरी मूल अवधारणा को समझ पाएंगे।

जहां का समाज परिष्कृत सोच वाला होता है, वह व्यक्ति, परिवार, ग्राम, प्रदेश व राष्ट्र निश्चित ही तरक्की के नए  पायदानों को छूता है।

आशा है मेरे प्रयास आपके दिल को छू सके

प्रवाह में आज इतना ही शेष  फिर


आपका अपना

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