आइए मित्रों,
आज हम चर्चा करते हैं संगीत की, जिसका व्यापक असर हमारे ऊपर होता है। आधुनिक विज्ञान भी इस बात को अब सिद्ध कर रहा है,जबकि हमारी भारतीय संस्कृति में कई रहस्य छुपे हुए हैं। शास्त्रीय संगीत को सुनने से व्यक्ति की जीवनी शक्ति में अभिवृद्धि होती है।
हमारी भारतीय संस्कृति को आप गौर से देखें, यह एक उत्सव की तरह है, कोई न कोई त्योहार एक के बाद एक आते हैं, जिनमें लोक गायन की परंपरा रही है। आज भी आप जन कहीं का भी लोक गायन सुनते हैं तो एक सुरीलेपन का एहसास होता है।
भारतीय संस्कृति में सोलह संस्कार होते हैं, यह सभी संस्कार क्रमबद्ध होते हैं एक के बाद एक निश्चित क्रम से वे किए जाते हैं। उनमें से एक गर्भाधान संस्कार,विवाह संस्कार, यज्ञोपवित संस्कार व सबसे अंत में दाहसंस्कार की परंपरा रही है।
किसी भी नए बालक बालिका के जन्म पर उत्सव मनाया जाता है, इसमें संगीतमय लोक गायन की परंपरा का निर्वहन किया जाता है, जिसके माध्यम से उसके जीवन में शुरुआत से ही रस का निर्माण किया जाता है। फिर सूरत पूजा, जलवा पूजन आदि होते हैं, जिसमें फिर संगीतमय आयोजन किया जाता है। पुनः जीवन में संगीत की स्थापना की जाती है।
आपको पक्षियों का कलख बड़ा ही लुभाएगा, अगर आप शांतचित्त से उसे सुने, नदी की सुमधुर कल कल, नवजात शिशु की मुस्कान व उसकी किलकारियां , उसका आपको देखकर सहज भाव से मुस्कुरा देना भी एक प्रकार का संगीत ही तो है।
जैसे ही हम कोई सुंदर मधुर गायन सुनते हैं, कई वर्ष बीत जाने के बाद भी उनमें एक अनोखी सी ताजगी होती है, क्योंकि उन गीत संगीत की रचना बड़े ही दिल से, भाव से की गई होती है, जो आज भी हमारे दिलों को स्पर्श करती है। बात चाहे संगीतमय रामकथा हो, विवाह में लोकगीतों की परंपरा हो, विश्व में कहीं भी आप देखें संगीत की परंपरा का निर्वाह तो किसी न किसी रूप में होता ही है, क्योंकि यह जीवन को समृद्ध बनाता है।
जरा सोचिए हमारे पास सभी साधन हो, पर जीवंतता ना हो, उत्साह का रस न हो तो कैसा होगा हमारा जीवन।
अगर एक संगीत के रूप में आप जीते हैं तो वह भी एक अद्भुत सी साधना ही तो है, जो आपके जीवन को श्रंगारित करती है। माँ के वात्सल्य रस से लेकर, बच्चों की भोली मुस्कान, किसी अपरिचित से भी आपका अत्यंत ही सहज भाव से परिचय करना, चिड़ियों की चहचहाहट, बच्चों का खिलखिलाना, मधुर गायन से सभी के जीवन में संगीत की महत्ता को प्रतिपादित करते हैं।
आप एक रसमयी व्यक्तित्व से बात करना पसंद करेंगे या एक रसहीन व्यक्ति से। जीवन में संगीत की प्रधानता होने से एक प्रफुल्लता का निर्माण होता है। आप कोई भी पुराना गीत जो आपके मन को छूता है, उसे सुनने के अलावा गुनगुनाकर देखिये, कैसी अदभुत ऊर्जा का निर्माण होता है।
गायन भी संसार की प्रवाही परंपरा का हिस्सा है। गजल, सूफी गायन, भक्ति गीत, श्रंगार की रचनाएं, जीवन में एक लालित्य लाती है,जीवन झरने सा बहने लगता है। जब आपका जीवन झरने के प्रवाह का रसमय हो उठे, तब आप जीवन के एक अनूठे रहस्य से परिचित होते हैं। किसी संगीतमय व्यक्ति से आप मिल कर तो देखिए, वह आपको भीतर तक अनुप्राणित कर देगा। क्योंकि वह अपने आप में एक जीवंत ऊर्जा समेटे होता है।
क्या आप जानते हैं “ ॐ नमः शिवाय “ या अन्य मंत्रो के सस्वर गायन से एक सकारात्मक ऊर्जा शक्ति का निर्माण होता है। इसलिए जब आप किसी धार्मिक परंपरा से जुड़े व्यक्ति से मिलते हैं, जो अपनी जड़ों से जुड़ा हो तो एक अनोखी ऊर्जा व आत्मीयता का अनुभव करते हैं। वह आपके हृदय को छूती है।
इसलिए संगीतमय जीवन जीने वाला व्यक्ति कभी भी निराश नहीं होता। वह विभिन्न परिस्थितियों का मुकाबला अत्यंत ही सहजता से कर लेता है। इसके विपरीत जिनकी संगीत में रुचि नहीं होती, वह स्वयं भी जीवन में उसकी महत्ता को समझ नहीं पाते और अन्य व्यक्ति भी उनकी कर्कशता से परेशान हो उठते हैं।
हमारी संस्कृति में भोजन के पूर्व भी एक मंत्र बोला जाता है, जो अब शायद बहुत ही कम लोगों को पता हो।
ॐ सहनाववतुसहनौ भुनक्तुसहवीर्यं करवावहैतेजस्विनावधीतमस्तुमा विद्विषा वहैॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः
इस प्रकार से उसे भी अनुप्राणित कर प्रसाद रूप में ग्रहण करने की परंपरा रही है। जीवन में सोम यानी चंद्रमा की उपस्थिति आपके जीवन को रसमय बनाती है। जिसके जीवन में सोम रस( चंद्रमा) की प्रधानता होगी, वह हमेशा आपको आनंदित स्वभाव व सहज व्यक्तित्व का धनी व्यक्ति मिलेगा। उससे मिलकर आप एक प्रसन्नता का अनुभव करेंगे।
एक मिलनसार व्यक्तित्व को सभी पसंद करते हैं और यह जीवन में संगीतमय धारा प्रवाह के बहने पर ही संभव है।
संगीत में व्यक्ति के रूपांतरण की अद्भुत शक्ति सन्निहित होती है।
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