आइए, आज प्रवाह में हम चर्चा करेंगे आत्मिक शांति की, क्या आपने कभी अपने आप को अत्यंत शांत चित्त अनुभव किया है, वह स्थिति आपकी केवल तभी होती है जब आप समग्र रूप से अपने आप में होते हैं, चाहे वह आप कोई पिक्चर देख रहे हैं, पर उस समय आपका उससे समग्र जुड़ाव आपकी अनुभूति का हिस्सा हो जाता है।
कोई पुराना गाना सुनकर स्मृति से अपने आप को जोड़ लेना कुछ समय के लिए ही सही आप को सुकून व मानसिक शांति प्रदान करता है। आप जरा गहन विचार करिए आज तो विज्ञान के विकास के कारण साधनों की, उपभोगों की बाढ़ से आई हुई है, पर क्या इन सब में हमने अपनी शांत अवस्था को नहीं खो दिया।
दरअसल यह सब तो साधन मात्र हैं जिनका हमें दैनंदिन जीवन यात्रा में केवल उपयोग करना होता है। पर हम इन सब ने उलझ कर रह जाते हैं। विचार करने का हमारे पास समय ही नहीं है कि इस कार्य को करने का क्या परिणाम होगा। फल स्वरुप साधनों में तो वृद्धि होती जाती है, पर हम अपना मौलिक स्वरूप खो चुके होते हैं।
हमारे कई चेहरे होते हैं, एक व्यवसायिक चेहरा, एक पारिवारिक चेहरा इन सब में हम अपनी जिंदगी को जीते हुए चाहते हुए भी अपनी आंतरिक शक्ति को जागृत नहीं रख पाते हैं और विभिन्न समस्याओं से घिर जाते हैं।
जो भी व्यक्ति विचारपूर्वक, ग्रहणअध्ययन से, परिस्थितियों को देखकर जीवन को जीता है, वह अपने मनोभावों व परिस्थितियों मैं वर्तमान क्षणों को बेहतरी से पकड़कर उनका सही उपयोग कर पाता है। आत्मिक शांति के सहारे अपने जीवन यापन की यात्रा करने लगता है, जो कि मनुष्य जीवन का परम लक्ष्य भी है, परंतु छोटे-छोटे लक्ष्यों को पार कर ही बड़े लक्ष्य की ओर पहुंच जाता है।
सबको ईश्वर शक्ति व साहस दे,आत्म विवेचना का रास्ता सभी के लिए खुला होता है। ऐसा व्यवहार हम औरों से भी न
करें जो व्यवहार हमें अपने लिए पसंद नहीं, बस यही मानव जीवन में आत्मिक शांति का सबसे उत्तम आधार बिंदु है।
आपका अपना
करें जो व्यवहार हमें अपने लिए पसंद नहीं, बस यही मानव जीवन में आत्मिक शांति का सबसे उत्तम आधार बिंदु है।
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