मेरा मुल्क, मेरा देश।

प्रवाह में आज,


मेरा मुल्क, यह उर्दू या फारसी जो भी शब्द है, उस पर नहीं जाना चाहता यह तो मन को बरगलाने की बातें हैं, असल बात जो स्पष्ट और बहुत ही सीधी हैं।
वह यह है कि हम इस मुल्क में जहां भी रहते हैं, वहां पर अपने परिवार से मोहब्बत करते हुए बाकी समाज के लोगों से भी भाईचारा कायम रखें।
यह देश की मूल संस्कृति है, इस देश पर कई हमले हुए पर इसकी संस्कृति जिंदा रही, आज सभी का यह मिलाजुला प्रयास होगी इस देश में जो अभी अपने आंतरिक परिवर्तन की संरचना से जूझ रहा है, हम उसकी ताकत बने।
इमानदारी से चीजों को टटोले, समग्र विवेचन करें, इस मुश्किल दौर में सभी देशवासियों से एक अपील है,
आपसी भाईचारे को किसी भी कीमत पर नष्ट ना होने दें।
अमन का संदेश ही मेरे देश का असली संदेश है।
हां, वक्त पड़ने पर यहां भी महाभारत हुई थी, श्री कृष्ण जिसके साक्षी थे।
आज फिर एक महाभारत इस देश में चल रही है, कृपया अपनी भूमिका को पूर्ण इमानदारी से समझिये, यह मुल्क आपका व मेरा है, जिसमें किसी भी बाहरी ताकत को यहां की संस्कृति से खिलवाड़ ना करने दिया जाए।
कभी राजनीति, कभी निजी स्वार्थ ने इस देश को आज यहां पर ला खड़ा किया है।
धीरे धीरे ही सही, तस्वीर साफ हो रही है, बनाए रखें मुल्क की ताकत बनें।
यही गुजारिश आप सभी से।

अंत में एक शेर या कुछ पंक्तियां, जो मौजूदा समय पर खरी हैं, दुष्यंत कुमार जी की हैं।

" वक्त लिखेगा उनका भी अपराध जो तटस्थ है। "

पूरी पंक्तियां मुझे ध्यान नहीं पर उसके भावार्थ पर जाए तो यह है कि समय चुप रहने का नहीं, समय सही कदम उठाने का है।

0 टिप्पणियाँ: