प्रिय पाठकगण,
सादर नमन,
आपका स्नेह ही मेरी लेखनी की सबसे बड़ी ताकत है, जब तक आप मेरे लेखों को पढ़ेंगे, उनके भीतर छुपे गहरी मानवीय संवेदना को महसूस करेंगे तो मेरा लेखन कार्य में ईश्वर-कृपा से सफल समझूंगा।
माननीय मुख्यमंत्री से पुनः विनम्र अपील, स्वविवेक से धर्म निभाए व कोई ऐतिहासिक फैसला ले, कहीं न कहीं समस्या गहरी है। सभी पक्षों से भी अपील समाज हित में अपने-अपने हठ को त्यागे व कोई रास्ता अपनाएं, अपना ही घर झुलसाना कहां की समझदारी है। यह तो हमारी भारतीय संस्कृति की परंपराओं के अनुरूप नहीं है।
मुख्यमंत्री जी से भी पुनः निवेदन, देखें प्रशासनिक स्तर पर कहां चूक हुई, मानवीय संवेदनाओ को गहराई से समझने वाले अफसरों को जवाबदारी दी जाए, कहीं न कहीं प्रशासनिक व राजनीतिक चूक हुई है अन्यथा समस्या इतनी न गहराती।
साधु संतों से भी अपील, अभी इस समय वह सही मार्गदर्शन सत्ता का करें। साधु व संत स्वभाव के व्यक्ति सामाजिक मर्यादा के अतिक्रमण से आहत होते हैं, उनमें एक विशेष शक्ति होती है, जो प्रदर्शन के कारण उन्हें होती है। कृपया अविलंब वह भी सरकार व समाज दोनों को दिशा निर्देश दें।
सरकार व समाजजनों दोनों पक्षों से पुनः अपील भारतीय परंपराओं का निर्वाह करते हुए टकराव का रास्ता न अपना कर सही दिशा में कदम बढ़ाएं, किसी भी दशा में सामाजिक मूल्य को ना ढहने दे।
आपका आक्रोश भी हो सकता है ( किसान बंधुओं से ) सही हो, पर आपकी कार्य दिशा किसी भी प्रकार से अगर सामाजिक नियमों का उल्लंघन कर रही है तो कृपया अपने अंतर्मन के फैसले पर जाएं, समाज हित को ध्यान में रखकर निर्णय ले। ईश्वर अवश्य ही आप की अंतरव्यथा को समझेंगे।
पुनः प्रशासनिक अमले से, सरकार से व किसान बंधुओं से, सामाजिक कार्यकर्ताओं से अपने अपने अंतर्मन को टटोले, विवेक जागृत करते हुए इस देश के मूल्यों को जिए, संपूर्ण विश्व हमारी ओर देखता है। कृपया देश को उपहास का पात्र न बनाएं। समस्या के निराकरण में बुद्धिमता व विवेक से कार्य करें।
खासतौर से सरकार का कार्य इस समय सबसे महत्वपूर्ण है वह केवल अपनी पीठ ना थपथपाएं, समस्या की गंभीरता को समझे।
इस समस्या को राजनीतिक चश्मे से ना देख कर माननीय मुख्यमंत्री सांस्कृतिक मूल्यों के आधार पर इस बात का निर्णय करें।
संपूर्ण मध्य प्रदेश इस नाजुक घड़ी में एकजुट हो। हमारा प्रदेश तो देश का हृदय है, यही लहूलुहान होगा तो हम
क्या संदेश देंगे।
मां अहिल्या की नगरी इंदौर ( राजेंद्र नगर ) से पुनः निवेदन हमारी संस्कृति तो आदर व सत्कार की संस्कृति है। लोकमाता माँ अहिल्या के पुण्य प्रताप को स्मरण करें व विवेक जागृत कर फैसला करें।
विशेष = संकट की घड़ी में स्वविवेक को जागृत करें, किसी भी प्रकार का अनुचित कदम कृपया ना उठाएं यही निवेदन, मिल बैठकर समस्या का समाधान खोजें।
आपका अपना,
सुनील शर्मा।
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