प्रिय पाठकगण,
सादर नमन।
आप सभी का दिन मंगलमय व शुभ हो, ईश्वर आप सभी को स्वस्थ व सक्रिय रखें इसी मंगल कामना के साथ स्वाधीनता दिवस की सभी भारतवासियों को हार्दिक बधाइयां।
आइए विचार करें भारत में जहां भौतिक तरक्की हुई है क्या हमारी मूल संस्कृति जो कि हमारी स्थाई धरोहर है, जो समग्र रूप से सभी का कल्याण आत्मिक व मानवीय दृष्टि से सोचती है। विगत दिनों में उसका परिष्कार हुआ है अथवा अवमूल्यन।
हमारा देश विविधता की संस्कृति वाला देश रहा है तथा इसकी इसकी विशेषता के कारण ही इसकी ख्याति है। बगैर किसी भेदभाव के इसने सभी को अपनाया है। इसकी सहिष्णुता का गुण इसका सबसे प्रमुख गुण हैं।
भारत शुरू से ही धर्म प्रधान व नीति प्रधान देश रहा है पर पिछले कुछ वर्षों में मानवीय अधोपतन क्रमशः हर क्षेत्र में हुआ है और यह एक चिंतनीय विषय है। आपसी प्रेम, सौहार्द्र व एक दूसरे के प्रति सच्ची संवेदना का अभाव होता जा रहा है। हमें स्वयं भी जागरूक होना होगा अपने अधिकारों और कर्तव्यों दोनों के प्रति।
यह देश हमारा है इस देश का गौरव हमसे है जैसे किसी घर का गौरव उसमें रहने वाले सुसंस्कृत लोगों से होता है आइए इसे स्वाधीनता दिवस पर हम संकल्प लें, उन स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदान को हम याद करें जिन्होंने अपना सबकुछ अपनी मातृभूमि को अर्पण कर दिया।
यह हमारा भी कर्तव्य बनता है कि हम इस देश की मूल संस्कृति को सुरक्षित रखें व पूर्ण दृढ़तापूर्वक हमारे व्यक्तित्व को इतना संकल्प व सामर्थ्यवान बनाएं जिससे सभी लाभांवित हों। स्वाधीनता दिवस पर सभी स्व-संकल्प ले कोई एक बुराई छोड़ने व कोई एक अच्छाई ग्रहण करने का, इसमें किसी का आग्रह अगर अच्छा है, मंतव्य अच्छा है तो उसे सुने जरूर व अगर आप कर सकते हैं तो अवश्य करें। याद रखें भावी पीढ़ी को हमारी संस्कृति से परिचित कराना भी हमारा कर्तव्य है, जिसे हम ना भूले। सामाजिक सद्भाव को बढ़ावा दें।
विशेष = नई पीढ़ी में देश व समाज के लिए भाव जागृत करना भी हमारा साधारण नहीं विशेष कर्तव्य है। इसे स्वीकारे व इस दिशा में स्वयं के स्तर पर जो भी प्रयास हो सकता है अवश्य करें। पुनः सभी को 15 अगस्त ( स्वतंत्रता दिवस ) की हार्दिक बधाई। जय हिंद।
जय मां भारती।
आपका अपना
सुनील शर्मा
सादर नमन।
आप सभी का दिन मंगलमय व शुभ हो, ईश्वर आप सभी को स्वस्थ व सक्रिय रखें इसी मंगल कामना के साथ स्वाधीनता दिवस की सभी भारतवासियों को हार्दिक बधाइयां।
आइए विचार करें भारत में जहां भौतिक तरक्की हुई है क्या हमारी मूल संस्कृति जो कि हमारी स्थाई धरोहर है, जो समग्र रूप से सभी का कल्याण आत्मिक व मानवीय दृष्टि से सोचती है। विगत दिनों में उसका परिष्कार हुआ है अथवा अवमूल्यन।
हमारा देश विविधता की संस्कृति वाला देश रहा है तथा इसकी इसकी विशेषता के कारण ही इसकी ख्याति है। बगैर किसी भेदभाव के इसने सभी को अपनाया है। इसकी सहिष्णुता का गुण इसका सबसे प्रमुख गुण हैं।
भारत शुरू से ही धर्म प्रधान व नीति प्रधान देश रहा है पर पिछले कुछ वर्षों में मानवीय अधोपतन क्रमशः हर क्षेत्र में हुआ है और यह एक चिंतनीय विषय है। आपसी प्रेम, सौहार्द्र व एक दूसरे के प्रति सच्ची संवेदना का अभाव होता जा रहा है। हमें स्वयं भी जागरूक होना होगा अपने अधिकारों और कर्तव्यों दोनों के प्रति।
यह देश हमारा है इस देश का गौरव हमसे है जैसे किसी घर का गौरव उसमें रहने वाले सुसंस्कृत लोगों से होता है आइए इसे स्वाधीनता दिवस पर हम संकल्प लें, उन स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदान को हम याद करें जिन्होंने अपना सबकुछ अपनी मातृभूमि को अर्पण कर दिया।
यह हमारा भी कर्तव्य बनता है कि हम इस देश की मूल संस्कृति को सुरक्षित रखें व पूर्ण दृढ़तापूर्वक हमारे व्यक्तित्व को इतना संकल्प व सामर्थ्यवान बनाएं जिससे सभी लाभांवित हों। स्वाधीनता दिवस पर सभी स्व-संकल्प ले कोई एक बुराई छोड़ने व कोई एक अच्छाई ग्रहण करने का, इसमें किसी का आग्रह अगर अच्छा है, मंतव्य अच्छा है तो उसे सुने जरूर व अगर आप कर सकते हैं तो अवश्य करें। याद रखें भावी पीढ़ी को हमारी संस्कृति से परिचित कराना भी हमारा कर्तव्य है, जिसे हम ना भूले। सामाजिक सद्भाव को बढ़ावा दें।
विशेष = नई पीढ़ी में देश व समाज के लिए भाव जागृत करना भी हमारा साधारण नहीं विशेष कर्तव्य है। इसे स्वीकारे व इस दिशा में स्वयं के स्तर पर जो भी प्रयास हो सकता है अवश्य करें। पुनः सभी को 15 अगस्त ( स्वतंत्रता दिवस ) की हार्दिक बधाई। जय हिंद।
जय मां भारती।
आपका अपना
सुनील शर्मा
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