प्रिय पाठक वृंद,
सादर नमन,
इस बार समसामयिक में राम रहीम पर जो फैसला आया है, उसके बाद उनके अनुयायियों ने जो तांडव मचाया है वह किसी भी दृष्टि से उचित नहीं है, ऐसे भक्त जिनके रूप में एक उन्माद फैला दिया जाता हैं, ऐसे हिंसक उन्माद कि देश में कतई जगह नहीं होनी चाहिए।
पुनः सभी बुद्धिजीवी नागरिक, राजनेता, संत, सच्चे समाज सेवक, सजग युवा ऐसी घटना का समर्थन ना करें, हम समाज में रहते हैं। ऐसी चीजों से पूर्ण शक्ति से निपटना चाहिए, कानून को हाथ में लेने की इजाजत किसी को नहीं है।
देश की इस वर्तमान व्यवस्था के लिए मेरे विचार से अधिकतर इस देश में जिस प्रकार भीड़ का खेल खेला जाता है, अनुयायियों की भीड़ लगाई जाती है, वह इन सभी चीजों के लिए उत्तरदायी है।
किसी भी कीमत पर देश में इन घटनाओं का होना आहत करता है, यह सब बगैर चेतना के जीवन को जीने का नतीजा है। हमें ईश्वर ने संपूर्ण चेतना व विवेक प्रदान किया है, देश के युवाओं से मेरा विशेष तौर पर निवेदन, धर्म के नाम पर धर्मांधता से बचें, धर्म का मूल स्वरुप तो दया, सहयोग, आपसी भाईचारा ही है।
कट्टरपंथी लोगों को किसी भी कीमत पर इन चीजों से रोकना चाहिए, प्रशासनिक अधिकारियों व राजनेताओं से विनम्र निवेदन अपनी आतंरिक चेतना को जागृत करें, देश हित में कृपया इन सब पर ईमानदारी व स्वविवेक से फैसला करें।
आम जनता से अनुरोध धर्म व धर्मांधता का अंतर समझे, यह देश संपूर्ण विश्व को शांति का संदेश देता है, मानवता सिखाता है। आखिर मनुष्य होना ही कितनी बड़ी बात है, इतना अनमोल जीवन पाकर अगर हम व्यर्थ की बातों में क्यों अपना समय नष्ट करते हैं।
न्यूज़ चैनलों व अखबारों से आग्रह वह देश की जनता को बताने के साथ ही इस बात के लिए प्रेरित करें कि इन घटनाओं को सनसनी न बनाएं वरन जनता को प्रेरित व जागरूक करें कि इन घटनाओं के प्रति सकारात्मक प्रतिक्रिया व्यक्त करे, उन्माद का फैलाव ना करें, साथ ही राज्य व केंद्र सरकार सभी सूचनाएं प्राप्त होने के बाद क्या कार्यवाही कर रही थी, यह भी समझ से परे है।
विशेष = जनता से आग्रह धर्म व धर्म के नाम पर उन्माद से बचें। संतो से व जागरुक बुद्धिजीवियों से निवेदन, सधी हुई प्रतिक्रिया दे। जनता को ऐसे नकली संतो से सावधान करे, जिन्होंने केवल विलासिता के आश्रम बना रखे हैं, उनके प्रति जनता को सच्चे संत जागरूक करें। सभी राजनीतिक नेताओं से निवेदन इस पर सख्ती से कार्यवाही का समर्थन राजनीतिक पूर्वाग्रह को छोड़कर करे। यह राष्ट्र की अस्मिता का सवाल है।
आपका अपना,
सुनील शर्मा।
सादर नमन,
इस बार समसामयिक में राम रहीम पर जो फैसला आया है, उसके बाद उनके अनुयायियों ने जो तांडव मचाया है वह किसी भी दृष्टि से उचित नहीं है, ऐसे भक्त जिनके रूप में एक उन्माद फैला दिया जाता हैं, ऐसे हिंसक उन्माद कि देश में कतई जगह नहीं होनी चाहिए।
पुनः सभी बुद्धिजीवी नागरिक, राजनेता, संत, सच्चे समाज सेवक, सजग युवा ऐसी घटना का समर्थन ना करें, हम समाज में रहते हैं। ऐसी चीजों से पूर्ण शक्ति से निपटना चाहिए, कानून को हाथ में लेने की इजाजत किसी को नहीं है।
देश की इस वर्तमान व्यवस्था के लिए मेरे विचार से अधिकतर इस देश में जिस प्रकार भीड़ का खेल खेला जाता है, अनुयायियों की भीड़ लगाई जाती है, वह इन सभी चीजों के लिए उत्तरदायी है।
किसी भी कीमत पर देश में इन घटनाओं का होना आहत करता है, यह सब बगैर चेतना के जीवन को जीने का नतीजा है। हमें ईश्वर ने संपूर्ण चेतना व विवेक प्रदान किया है, देश के युवाओं से मेरा विशेष तौर पर निवेदन, धर्म के नाम पर धर्मांधता से बचें, धर्म का मूल स्वरुप तो दया, सहयोग, आपसी भाईचारा ही है।
कट्टरपंथी लोगों को किसी भी कीमत पर इन चीजों से रोकना चाहिए, प्रशासनिक अधिकारियों व राजनेताओं से विनम्र निवेदन अपनी आतंरिक चेतना को जागृत करें, देश हित में कृपया इन सब पर ईमानदारी व स्वविवेक से फैसला करें।
आम जनता से अनुरोध धर्म व धर्मांधता का अंतर समझे, यह देश संपूर्ण विश्व को शांति का संदेश देता है, मानवता सिखाता है। आखिर मनुष्य होना ही कितनी बड़ी बात है, इतना अनमोल जीवन पाकर अगर हम व्यर्थ की बातों में क्यों अपना समय नष्ट करते हैं।
न्यूज़ चैनलों व अखबारों से आग्रह वह देश की जनता को बताने के साथ ही इस बात के लिए प्रेरित करें कि इन घटनाओं को सनसनी न बनाएं वरन जनता को प्रेरित व जागरूक करें कि इन घटनाओं के प्रति सकारात्मक प्रतिक्रिया व्यक्त करे, उन्माद का फैलाव ना करें, साथ ही राज्य व केंद्र सरकार सभी सूचनाएं प्राप्त होने के बाद क्या कार्यवाही कर रही थी, यह भी समझ से परे है।
विशेष = जनता से आग्रह धर्म व धर्म के नाम पर उन्माद से बचें। संतो से व जागरुक बुद्धिजीवियों से निवेदन, सधी हुई प्रतिक्रिया दे। जनता को ऐसे नकली संतो से सावधान करे, जिन्होंने केवल विलासिता के आश्रम बना रखे हैं, उनके प्रति जनता को सच्चे संत जागरूक करें। सभी राजनीतिक नेताओं से निवेदन इस पर सख्ती से कार्यवाही का समर्थन राजनीतिक पूर्वाग्रह को छोड़कर करे। यह राष्ट्र की अस्मिता का सवाल है।
आपका अपना,
सुनील शर्मा।
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