प्रिय पाठक गण,
सादर नमन।
आप सभी का दिन मंगलमय हो ,ईश्वर आप सभी को समृद्धि प्रदान करें ,इन्हीं मंगल भाव के साथ आज चर्चा करते हैं वर्तमान समय में धर्म की उपयोगिता पर।
वर्तमान समय में जब सभी और केवल भौतिक साधनों को ही येन-केन-प्रकारेण किसी भी प्रकार पाने की होड़ सी मची है ,आंतरिक अशांति और अधिक बढ़ती ही जा रही है इसका सबसे सरल उपाय यही है कि अपने साधन संपत्ती का व मानसिक शक्तियों का प्रयोग करें जब भी हम धन.को कमाये तो देखें वह नीति पूर्ण तरीके से कमाया गया हो ।वह खर्च करें तब भी हम सोच समझ कर उसे खर्च करें ,आय-व्यय का संतुलन स्थापित करें ,कुछ अंश आय का दान व कुछ बचत पर भी खर्च करें कई कार्य हमारे सामने अनायास भी आ जाते हैं ,उस समय हमारी निरंतर की गई छोटी सी बचत भी अत्यंत महत्वपूर्ण सिद्ध होती है ,वर्तमान परिपेक्ष्य में अपने आप को सजग रखें अपनी नीति स्पष्ट रखें।
बगैर किसी डर.के.अपनी बात को कहना सीखें यह भी एक महत्वपूर्ण कला है ।जिसे हमें अपने दैनंदिन जीवन का एक महत्वपूर्ण अंग मानना चाहिए ,आपकी निडरता आपका कई मायनों में बचाव करती है यह आपको मानसिक शक्ति प्रदान करती है और जीवन में मनोबली व्यक्ति अपने लक्ष्य को प्राप्त करते हैं अतः सकारात्मक चिंतन व निरंतर उसे बनाए रखते हुए लक्ष्य को ध्यान में रखकर उस दिशा में कार्य करने पर वह सिद्ध होता है। सकारात्मक ऊर्जा हमें अपनी चिंतन द्वारा प्राप्त होती है।
धर्म का पालन हमें आंतरिक शक्ति प्रदान करता है। नियम पालन अच्छे नियम हमें विभिन्न संकटों से बचाते हैं प्रभु का स्मरण हमें ज्ञान प्रदान करता है ,किस प्रकार व्यावहारिक बुद्धि द्वारा समाधान को निकाला जाए हमारी दृष्टि विकसित होती है ।हम अपनी मानसिकता से अपने लक्ष्य की ओर अग्रसर होते हैं।
पहले छोटे छोटे लक्ष्य निर्धारित करें उन पर पूर्ण दृढ़ता से अमल करें छोटे छोटे लक्ष्य ही मिलकर एक बड़े लक्ष्य की ओर हमें ले जाते हैं ।स्वयं सकारात्मक चिंतन रखें और उसका प्रभाव अवश्य पड़ता है, विपरीत परिस्थितियों में अपनी विचारधारा को न छोड़े ईश्वर आपके साथ सदैव है ध्यान रखें सृष्टि की रचना इस प्रकार की गई है जो कि संतुलन पर आधारित है एक दूसरे के सहयोग द्वारा ही हम अपना और दूसरों का जीवन संचालित कर सकते हैं।
क्या आप अपना सारा जीवन स्वयं के बलबूते पर जीत सकते हैं ,पिता, माता ,पत्नी ,भाई ,मित्र कितने लोग आप को सहायता व सहयोग प्रदान करते हैं। तब आप अपने जीवन को सुचारु रुप से चला सकते हैं परस्पर आपसी सहयोग व सम्मान व आपके परिवार और समाज दोनों को समृद्ध करता है ,समृद्धि से मेरा आशय केवल धन संपदा होकर आंतरिक समृद्धि से है हमारी विचार सम्पदा हमारी सबसे बड़ी पूंजी होते हैं इस समय में हमारे द्वारा विगत में किए गए सही कर व्यवहार ही हमें संकट से बचाते हैं।
विशेष = जीवन में ईश्वर व सभी को रोज धन्यवाद दे जो आपको सहयोग करते हैं और असहयोग करने वालों को भी धन्यवाद दे जिनके कारण हम अपने संघर्ष को बाध्य होते हुए और अधिक प्रयास के द्वारा अपनी मंजिल को पाते है प्रार्थना से मानसिक शक्ति में अभिवृद्धि होती है अतः दैनिक प्रार्थना को जीवन का अभिन्न अंग बना दें।
आपका अपना,
सुनील शर्मा।
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