प्रिय पाठक वृंद,
सादर नमन,
ईश्वर आप सभी का मंगल करें ,आपका जीवन समृद्ध व वैभवशाली हो। इन्हीं शुभ भावो के साथ आज अंतर्यात्रा भाग 19 प्रस्तुत करने जा रहा हूं।
इस विचार श्रंखला में आज विचार करेंगे धर्म का वैज्ञानिक महत्व ,क्या आप कभी सुबह 4:00 से 6:00 बजे के समय में उठते है,अगर नहीं उठते हैं तो कोशिश करिए ब्रह्म मुहूर्त में उठने की, मात्र 15 दिनों में आपको मानसिक अवस्था में एक सकारात्मक परिवर्तन आपको महसूस होगा।
इस मुहूर्त में उठकर आप सकारात्मक चिंतन, इष्ट साधना व रोज के कार्य का तरीका निश्चित कर सकते हैं। इस समय उठने पर आपकी मानसिक शक्तियां अधिक प्रभावी होती है, सकारात्मक ऊर्जा का निर्माण होता है।
हमारा शरीर भी ईश्वरप्रदत्त एक सुंदर सा यंत्र ही तो है। अगर आप इसे स्वस्थ व नियमों के आधार पर चलाएंगे तो स्वस्थ और सुखी जीवन जी सकेंगे।
वर्तमान समय चुनोतियों का समय है। हर तरफ अराजकता, भ्रष्टाचार व कथनी व करनी का अंतर स्पष्ट देखा जा सकता है। ऐसे विपरीत हालातों में हमें बुद्धि से अपने कार्यों को करना होगा।
अपने जीवन को एक व्यवस्थित क्रम देने के लिए आप सुबह जल्दी उठने का अभ्यास करें व अगर आप उठ रहे हैं तो बड़ी खुशी की बात है।
आप इस समय उठकर क्या करते हैं, ईश्वर चिंतन व अपने कार्यकलापों का अध्ययन कर उन पर नजर डालें, कम से कम आधा घंटा यानी 30 मिनट अवश्य अपने आप से वार्तालाप करें, उस वार्तालाप में अपनी रोजमर्रा की समस्त गतिविधियों का आकलन करें, कहां सुधार की आवश्यकता है, इसे जाने।
आप मानसिक तौर पर जितना सुदृढ़ होंगे, उतने ही आपके फैसले विवेक पूर्ण होंगे। इस समय सकारात्मक चिंतन करें पूर्ण पारदर्शिता से अपनी दैनिक जीवनचर्या का आकलन करें, आप स्वयम जान जाएंगे कि सुधार की जरूरत कहां है।
समय को पूर्ण रुप से सजग रहकर उसे विभिन्न हिस्सों में बांटे। कुछ समय स्वयं के लिए, फिर परिवार के लिए व समाज के लिए यह आपकी सुविधा वह कार्य पर निर्भर करता है कि आप इसे कैसे संयोजित करते हैं।
एक सूत्र = समय का सदुपयोग।
दूसरा सूत्र = सभी का सहयोग।
तीसरा सूत्र = आर्थिक स्थिति का सही आकलन आय व बचत का संयोजन।
चौथा सूत्र = आकस्मिक आपदा प्रबंधन हेतु एक निश्चित आर्थिक प्रबंधन।
पांचवां पुत्र = अपनी आय मे सेें दान व बचत दोनों ही सुनिश्चित करें, दैनिक दान व बचत की आदत का समावेश करें।
छठा सूत्र = सभी के लिए प्रार्थना करें, इससे आपको भी आंतरिक प्रसन्नता का अनुभव होगा व सकारात्मक ऊर्जा का निर्माण होगा।
सातवां पुत्र = लक्ष्यहीन जीवन में कुछ छोटे ही सही लक्ष्य अवश्य हो, ताकि वे आपके लिए प्रेरणा का कार्य कर सकें।
आठवां सूत्र = विषम परिस्थितियों में पूर्ण धैर्य पूर्वक कार्य करे।
नवा सूत्र = जो भी कार्य करें, उस समय मन व शरीर दोनों को उसी कार्य में पूर्ण रूपेण लगाने का अभ्यास करें।
दसवा सूत्र = किसी भी धर्म ग्रंथ, गुरु या सकारात्मक चिंतन को निरंतर पूर्ण मनोयोग से 10 या 15 मिनट तक अवश्य कहे, यह आपका आत्मबल और मानसिक बल बढ़ाने में सहायक सिद्ध होगा।
ग्यारहवा सूत्र = उस परम शक्ति पर पूर्ण विश्वास रखें व अपने नियत कर्मों को पूर्ण आस्था व विश्वास से करें।
ऊपर जितने भी सूत्र मैंने आपको दिए हैं, वह मानव जीवन को सुचारु रुप से चलाने हेतु मेरे निजी अनुभव पर आधारित है, जो मैंने अब तक के जीवन में उतार चढ़ाव को महसूस किया, उस के बाद मैंने जो आवश्यक सुधार अपनाए है, उनका एक अच्छा परिणाम प्राप्त होने पर यह सूत्र मैंने आपके सामने रखे हैं। निर्णय आप ही करें कितना सही या गलत, पर आपसे निवेदन है बगैर किसी दुराग्रह के इन सूत्रों को मात्र महीने भर भी आप अमल में लाते हैं, तो आशातीत परिवर्तन महसूस करेंगे। आप की आंतरिक मानसिक शक्ति में अभिवृद्धि होगी।
विशेष = धर्म से मेरा तात्पर्य स्वधर्म से भी है, आप जो भी कार्य, व्यवसाय या नौकरी कर रहे हैं, पूर्ण जागरुक ईमानदारी से अपने कर्तव्य निर्वहन को करें। निश्चित ही आप मानसिक संतुष्टि भी महसूस कर सकेंगे।
आपका अपना,
सुनील शर्मा।
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