अनुगूंज

प्रिय पाठक वृंद,
सादर नमन ,
मेरे प्यारे श्रोता गण,
                          विभिन्न भाव भूमि पर हम सभी उस एक ईश्वरीय शक्ति की परम अनुकंपा के अधीन है ,कुछ देवी प्रेरणा हमारे जीवन में हमेशा घटित होते ही रहती है ।जरूरत है ,सकारात्मक नजरिए से उस परमपिता परमेश्वर की परम कृपा शरण को अपनी आंतरिक चेतना में अनुभव करने की ।
                          हमारे अपने ही कर्म हमारी अनुगूंज बनकर हमें राह दिखाते जाते हैं ,बारंबार उस परमपिता को धन्यवाद जो हमें सचेत करता है।
                        हमारे कर्तव्य व दायित्व बोध कि हमें याद दिलाता है व हमें आंतरिक  उर्जा से परिपूर्ण करता रहता है ,हम विश्व के किसी भी कोने में रहे हमें सदैव अपने कदमों की  पदचाप सुनाई अवश्य देती है।  
                     परमात्मा हमें सदैव सचेत करता हुआ हमें अवसर भी प्रदान करता है , व मार्ग भी दिखाता है, हमें आंतरिक बल प्रदान करता है ।वह दिव्य अनूठी शक्ति निरंतर प्रवाहमान होकर हमे हमारे ही माध्यम से प्रस्फुटित करती हुई एक राह बनाती जाती है।
                      आवश्यकता हमें सचेत होकर उसे सुनने की है ,वह अपनी सूक्ष्म डोर से आपको बांधे हुए स्वयं आपका मार्ग बना देगी ।
                
      विशेष :- हमारे सकारात्मक कर्म हमारी आंतरिक ऊर्जा को बल प्रदान करते हैं ,हमें नित्य निरंतर उस ईश्वर का धन्यवाद अवश्य करना चाहिए जो हमें राह दिखाते हुए चलते हैं ।
                 
                     आपका अपना
            सुनील शर्मा इति शुभम भवतु

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