अनवरत

प्रिय पाठक वृंद,
                सादर नमन,
आप सभी को मंगल प्रणाम,
                 
                 मेरा यह प्रयास अनवरत या निरंतर जारी रहेगा, मुख्य ध्येय वैचारिक परिवर्तन को हमारी आंतरिक चेतना में उतारे।   उस दिशा में हम समग्र दृष्टि से विचार करें, तब स्वत
ही हमें दिशा प्राप्त हो जाती है।
                 
                 हम जो कर्म करते हैं, वह हमें पूर्ण रूप से ज्ञात होता है,अगर हम अनवरत अच्छे प्रयासों व विचारों को बल देंगे तो सृष्टि रोमियो आप से जुड़कर उस दिशा की ओर आपको ले चलेगी हम जो सोच रहे हैं वह भी हमारे कर्म का ही एक हिस्सा है अतः हम जो भी सोचते हैं या करते हैं उस पर हमारी दृष्टि अवश्य ही होना चाहिए जब हम एक दिशा में पूर्ण सजगता से कार्य करते हैं तो हमें अनुकूल परिणाम निश्चित ही प्राप्त होते हैं ऐसा हो ही नहीं सकता कि हम वह परिणाम पा सकें जो हम सोचते हैं पर यह एक अनवरत चलने वाली प्रक्रिया है चलते रहिए अपने देखे हुए सपनों की ओर वे पूरे होकर रहेंगे
विशेष आपने जो भी कार्य सोच रखा है उस दिशा में अपनी संपूर्ण ऊर्जा को लगाने से वह विचार देर सवेर अवश्य फलीभूत होगा क्योंकि आप उसे कंपनी गहन विचार प्रक्रिया का हिस्सा बना चुके हैं अच्छा सोचिए और दृढ़ता पूर्वक उसका अनुसरण करिए

इति शुभम भवतु
आपका अपना सुनील शर्मा

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