प्रिय पाठक वृंद,
सादर नमन,
आप सभी सुधि श्रोता जनों को सादर नमन,
सभी बुजुर्गों को सादर चरण स्पर्श, हम उम्र वालों को नमस्कार, उम्र में जो मुझसे छोटे हैं उन्हें स्नेह,
एक लंबी अवधि के बाद आप सभी से फिर जुड़ना हुआ है। अतः भाव से सभी को पुनः नमन,
कृपा के सागर मेरे आराध्य प्रभु राम जो त्याग की प्रतिमूर्ति थे, उनके जैसा हमारा जीवन हो।
यही हमारी मंगल प्रेरणा बन हमारा मार्गदर्शन करें, यही सुंदर विनय।
प्रथम हमारे हृदय में उसकी कृपा का वास हो, परम शांति हमारे हृदयों में स्थापित हो,
उसकी सुंदर कृपा सभी के जीवन में अमृत बनकर बरस उठे, उसकी अमृत वर्षा आप सभी के जीवन में प्रवेश करें।
हम सभी उसकी परम कृपा के पात्र हैं,निरंतर हमारे मानस में उस परमपिता का मंगल अनुभव करते हुए हम आगे की ओर बढ़ते जाएं।
अंतर्मन को उसके मंगल प्रसाद से हम नवाजे, उसकी ह्रदय से प्रार्थना करें।
सभी का मंगल हो, विचार मंगल हो, हम अपने सुंदर विचारों पर दृढ़ता पूर्वक कार्य कर सकें।
उनके श्री चरणों में यही विनय,
स्वयं का अवलोकन करते हुए उसकी कृपा को ग्रहण करते हुए हम आे बढ़ते जाएं।
उसकी अहेतुकी कृपा के लिए बारंबार धन्यवाद,
परम शांति, दिव्य शांति, मंगलमय कृपा सदैव सभी पर हो, अमृत का संचार हो, दिव्य विचार व कर्मों की आभा हमारे जीवन में हो।
पुनः सभी को अनेकों मंगल कामनाओं सहित वाणी को विराम
विशेष :- वह परमपिता परमेश्वर हमें उसकी कृपा से सदैव ही परिपूर्ण करे हुए, आवश्यकता हमें सही अर्थों में उसे समझने की हे।
आपका अपना
सुनील शर्मा
0 टिप्पणियाँ:
एक टिप्पणी भेजें