प्रिय मित्रों,
सादर वंदन,
आप सभी को मंगल प्रणाम, आज प्रवाह में हम संवाद करेंगे विपत्ति में कौन साथी।
प्रिया पाठक गण, इसका हम जब गहन अध्यन करेंगे तो सूत्र हमें इस वाक्य में मिल जाएगा।
धीरज ,धर्म ,मित्र ,अरु नारी आपद काल परखिए चारी
विपत्ति में हमारा स्वयं का गुण धैर्य काम आता है,फिर धर्म अर्थात हमने कभी किसी की निस्वार्थ भाव से मदद की वह अपने स्व कार्य को पूर्ण ईमानदारी से किया वह आपको विपत्ति में बचाता है।उसके बाद आपके जो सही मित्र आप जीवन में चुनते हो विपत्ति काल में आपके साथ खड़े होते हैं, उसके बाद विपत्ति में आपकी पत्नी आपकी सहायता करती है
अगर यहां नारी शब्द का और विशद अध्ययन किया जाए तो मां पत्नी बेटी बहन सभी जो भी आपत्ति काल में आपकी सहायक होती है उन सभी से इस शब्द का अर्थ लगाया जाए, क्योंकि नारी स्वभाव से ही दयालु होती है।
हमारी चर्चा का मूल विषय है विपत्ति में कौन सा थी तो इस पंक्ति में ही इसका संपूर्ण रहस्य छुपा हुआ है, जिसमें धैर्य व धर्म आपके निजी गुण हैं, उसके बाद क्रमशः अच्छे मित्र व पत्नी यह भाग्य से आपको कैसे प्राप्त हुए हैं।
इन पंक्तियों में ही सारी बातें सार रूप में कह दी गई है, हमें सही अर्थों में उसे आत्मसात करना है।
विशेष:-विपत्ति काल में आपका स्वयं का धैर्य व धर्म, फिर उसके पश्चात अच्छे मित्र वह अच्छी पत्नी यह सहायक होते हैं। पसंद तो आप का गोला डेरी ही कार्य करेगा, अतः विपत्ति काल में धैर्य न त्यागे इस प्रकार क्रमशः क्रमबद्ध रूप में यह गुण आपके सहायक सिद्ध होंगे
इति शुभम भवतु
आपका अपना
सुनील शर्मा
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