प्रिय पाठक गण,
सादर नमन
आप सभी को सादर वंदन,
आशा है कि सामाजिक संवाद पर आधारित यह ब्लॉग आपको एक नई चेतना दे रहा होगा।
परम आराध्य श्री कृष्ण भगवान के श्री चरणों में प्रणाम करते हुए गीता के सूत्र वाक्य स्वधर्म पालन पर कार्य करते हुए उसकी आखरी परिणति को ध्यान में रखकर उनके गीता के अंत में कहे गए सूत्र वाक्य यतो धर्म ततो जय को अंतर में रखर इस महा समर में जो कि प्रत्येक के जीवन में आता है,उनके परम शब्दों को शीश पर धारण कर अपनी करते हुए पालना करते रहूंगा।
व यही संदेश सभी को गीता के मर्म को समझें,श्री कृष्ण ने संपूर्ण मानवता के हित में अपने संपूर्ण शक्ति व चातुर्य से कार्य किया। इसीलिए वह आज भी जन-जन के आराध्य है।
उनका संघर्ष हमेंजीवन मूल्य पर खड़े रहने की इच्छा शक्ति प्रदान करता है। वे श्रीकृष्ण अनूठे रणबांकुरे थे, वे प्रेमियों के प्रेमी, पथ प्रदर्शक वह सदैव संपूर्ण सामाजिक हित में क्या जरूरी है, इसका चिंतन करते हुए कार्य करते थे। तभी तो उनका जीवन वृतांत एक महामानव के रूप में हमें प्रेरणा देता है।
विशेष जब भी हम मन में किसी प्रकार का संकल्प विकल्प,तब पूर्ण मनोयोग से उनकी शरण में जाने पर वे तुरंत ही आपके हृदय में उसका समाधान प्रकाशित कर देते हैं यही उनकी परम कृपा है।
आपका अपना
सुनील शर्मा
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