सादर वंदन,
आज प्रवाह में एक काव्य रचना नव वर्ष के उपलक्ष में प्रस्तुत कर रहा हूं।
इसका शीर्षक ही नववर्ष रखा है।
आओ, करें स्वागत नव वर्ष का,
यह नया उल्लास लाया है,
जन-जन में नई खुशी व उल्लास जगे
नव वर्ष में करें नए संकल्प, कुछ ऐसा करे जिस पर हमें गर्व हो, इंसानियत के लिए हम अपना हर कर्म करें।
आओ, करें स्वागत नए वर्ष का, गिले-शिकवे सब भूलकर, हम अपनों से गले मिले।
आओ करें स्वागत नए वर्ष का, फिर कुछ संकल्प नए हम करें, जीवन की दिशा हम तय करें।
उल्लास का सूरज फिर आया है,
नवचेतना हम जीवन में भरे, नवचेतना हम जीवन में भरे।
नित नूतन हो हर सवेरा, रोज दीप से हम जले।
फूल से हम खिले, अंधकार कितना भी घना क्यों न हो,
फिर सवेरा अवश्य आता है, जीवन में नित नए संघर्षों का आगाज हम करें।
आओ करें स्वागत नववर्ष का, संकल्प कुछ फिर नये करें।
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