सादर नमन
आज हम जिस सामाजिक परिवेश में रहते हैं, वहां पर न चाहते हुए भी कई चीजें हमें प्रभावित करती है, आज के परिदृश्य में हमें परिस्थितियों को समझना होगा।
आज संपूर्ण विश्व ही एक दूसरे पर निर्भर है, तब क्या कम हम केवल अपने ही देश की सीमाओं में बंधे रहे,वास्तविकता में हमें आज के वैश्विक परिदृश्य को ध्यान में रखकर ही अपनी संपूर्ण योजनाओं व परियोजनाओं को चलाना होगा।
हां, हमें अपनी संस्कृति के मूल गुणों को आत्मसात अवश्य करना चाहिए, ताकि हम इस दौर में भी उनके सही प्रभाव को रेखांकित कर सकें।
सतही व भावनात्मक चीजों से ऊपर उठकर हमें वास्तविकताओं को समझना होगा। हमें अपने दर्शन की मूल बातों की गहनता को अवश्य जानना चाहिए व वर्तमान परिदृश्य में उनका का सही उपयोग करना चाहिए
आज नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती है आइए उनके जीवन से प्रेरणा प्राप्त करें
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