समसामयिक

प्रिय पाठक गण,
 सादर वंदन,
आप सभी को मेरा मंगल प्रणाम,
       ंं आज भारतीय राजनीति अपनी सर्वोच्च संकट से गुजर रही है, जहां पर कहते तो सभी राजनीतिक दल हैं कि देश पहले हैं, पर सत्ता की भूख इन्हे  बेचैन कर देती है।
         भारतीय जनतंत्र में शर्मनाक से घटनाक्रम घटते ही जा रहे हैं, पहले यह खेल महाराष्ट्र में घटा, अब लगभग वैसा ही घटनाक्रम मध्यप्रदेश में दोहराया जा रहा है, जहां पर जनतंत्र का गला घुटा है।
         मध्यप्रदेश में लोग अलग थे, यहां लोग अलग हैं, मगर दोनों ही जगह जनादेश जनता ने जिन्हें दिया था, उन्होंने किसी और पार्टी के साथ मिलकर चुनाव लड़ा, महाराष्ट्र में जहां शिवसेना और भारतीय जनता पार्टी ने मिलकर चुनाव लड़ा था, पर आपसी राजनीतिक मतभेद होने पर शिवसेना ने बीजेपी से अलग होकर सरकार का निर्माण किया, यानी मतदाता छला गया, अब कमोबेश वैसा ही घटनाक्रम मध्यप्रदेश में घटा है, जहां लोगों ने कांग्रेस के उम्मीदवार के रूप में लोगों को जिताया, निजी स्वार्थ के कारण दल बदल रहे हैं, जो लोग मतदाता व पार्टी के प्रति वफादार ना हो, यह देश के प्रति वफादार कैसे हो सकते हैं, अगर सिंधिया जी का कांग्रेस से इतना ही मोहभंग था,तब चुनाव से पहले ही उन्हें भारतीय जनता पार्टी का दामन थामना चाहिए था,अब तो वे निजी स्वार्थ के कारण भारतीय जनता पार्टी में गये‌ है।
       यह सरासर मतदाताओं का अपमान ही तो है, राजनीतिक दलों ने गिरावट की पराकाष्ठा कर दी है, जनता भी मूकदर्शक बनकर सब देखती रहती है, सभी राजनीतिक दलों की नैतिकता तो मानो खो सी गई है, अपने-अपने निजी स्वार्थों को  वे राष्ट्रहित का नाम देते हैं।
      ऐसे दलबदलू लोगों को जो किसी भी राजनीतिक दल के हो, जनता ने चुनाव में सबक सिखाना चाहिए, ऐसे सभी लोग जो चुनाव के बाद पार्टी बदलते हो, उनकी अगले चुनाव में जमानत भी न बचे, तभी लोकतंत्र की सार्थकता होगी, तभी सही अर्थों में जनतंत्र होगा, वरना अभी तो देश में निजी स्वार्थों की बोलियां बोली  जा रही है।
    अब बारी जनमानस की है वह राजनीतिक परिपक्वता का परिचय दें, ऐसे सभी लोगों को जो इस प्रकार की राजनीति करते हैं, चुनाव में हरा दे, ताकि जनतांत्रिक व्यवस्था को बल प्रदान हो।
      अगर सच बोलना गुनाह है तो यही सही, पर आज यही सत्य  हैं। 
      ऐसा नहीं कि सभी नेतागण एक जैसे हैं, वह सभी दलों के अच्छी छवि वाले राजनेताओं को जिताये,  वे देश हित में नीतियों का निर्माण करें,  भ्रष्ट आचरण वाले राजनेताओं को हार का मुंह देखना पड़े, जिस प्रकार से कमलनाथ जी ने कार्यवाही की थी, उससे एक अच्छी आस बंधी थी, मगर निजी स्वार्थ के कारण कुछ राजनेताओं ने पाला बदला, यह जनता को भी देखना चाहिए, अब समय आ गया है हमें दलगत राजनीति से ऊपर उठकर अच्छे राजनेताओं को चुनाव जीताना चाहिए, चाहे वे किसी भी दल से आते हो।
     वरना जनता भी इस बात के लिए दोषी होगी, अगर वह अच्छे राजनेता का चुनाव करने में समर्थ नहीं हुई, जनता को राजनीतिक परिपक्वता का परिचय अब देना चाहिए, यह मेरी व्यक्तिगत विचार है,वास्तव में देश सर्वोपरि होना चाहिए कोई राजनीतिक दल नहीं, अगर हमें कथनी व करनी में अंतर मिले तो ऐसे राजनेताओं को सबक सिखाना ही चाहिए।
जय हिंद, जय मां भारती
एक सच्चा भारतीय
आपका अपना
सुनील शर्मा
विशेष:-अब समय आ गया है भारतीय राजनीति जिस प्रकार से होती जा रही है, मतदाता को भी परिपक्वता का परिचय देना चाहिए, आपराधिक व भ्रष्ट आचरण वाले राजनेता, चाहे किसी भी दल से खड़े हुए हो, उन्हें हराना चाहिए, तभी सभी राजनीतिक दलों में भी चेतना जागृत होगी।

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