वर्तमान

प्रिय पाठक गण,
सादर नमन,
आप सभी को मंगल प्रणाम,
काफी समय बाद आप सभी लोगों से इस ब्लॉग के माध्यम से मुखातिब हूं।
इसमें मैंने शब्दों का चयन केवल हिंदी ही नहीं, उर्दू, फारसी, संस्कृत जहां जो मुझे अधिक सटीक लगा, किया है।
सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि मेरी बात आपके दिल को छुए, मैंने अपनी संपूर्ण ईमानदारी से सभी लेखों को लिखा है।
मुझे यह भी नहीं पता पढ़ने वाले कौन-कौन मेरे पाठक गण है।
राजनीतिज्ञ, डॉक्टर, मजदूर, छात्र, वरिष्ठ नागरिक गण, युवा वर्ग, व्यापारी गण वह समाज के विभिन्न क्षेत्रों से हो सकते हैं।
मैंने संपूर्ण इमानदारी से एक कोशिश की है। आगे आप सभी का प्रेम ही इसे अधिक से अधिक लोगों तक  यह पहुंचे, इसमें सहायक सिद्ध होगा।
एक विनम्र प्रयास है, समाज में हम खड़े हैं, हमारा उत्तरदायित्व है, एक बेहतर समाज का निर्माण।
           यह तभी संभव है, जब समान विचारधारा के वे सभी लोग संगठित हो, जो सामाजिकता को पसंद करते हैं, एक अच्छे समाज की स्थापना के लिए प्रयासरत है।
           कोशिश हर बार यही करता हूं, बार-बार विषमताओं से लड़ूंगा, सामाजिक हित जिसमें है, वह अपनी लेखनी से कहूंगा।
          आप सभी का प्रेम व स्नेह  चाहिए, यह ब्लॉग लिखते समय मेरी अंतरात्मा कितना सुकून महसूस करती है, यह ह्रदय से मैं जानता हूं।
        वर्तमान समय चुनौतियों का समय है, एक तरफ कोरोना महामारी के रूप में हमारे सामने एक संकट है, व दूसरी और हमें गतिशील भी रहना है, इस बीमारी से लड़ने व आगे कार्य करने हेतु।
      आज एक संकट और है, वैचारिक नैराश्य का, हमें इससे  उबरना है, तो हमें स्वयं के प्रति प्रतिबद्ध होना होगा, फिर क्रमशः परिवार, गली, मोहल्ला, नगर, राज्य, देश व विश्व इस क्रम से हमें अभ्यास करना होगा।
    आज समाज में कथनी व करनी का भेद देखा जा सकता है। ऐसी विषम माहौल में हमें अपनी जवाबदारी तय करना ही चाहिए।
     आइए संकल्प करें, हम अपने स्वयं के लिए व इस समाज के लिए कुछ बेहतर करें।
    यह हमारा फर्ज भी है, रात कितनी भी घनी हो, सुबह अवश्य आती है। मनोबल को हमेशा बनाए रखें, परिस्थितियां आती है, जाती है, धैर्य पूर्वक उन का अवलोकन करें  व निर्णय करें।
विशेष:- वर्तमान समय चुनौतियों का समय है। सजगता आवश्यक है, समाचारों की सभी और भरमार है, इसलिए और भी आवश्यक है, सतर्कता पूर्वक अपनी दिशा चुनिए और पूर्ण समर्पण से निरंतर चलते रहिए।
आपका अपना
सुनील शर्मा
जय हिंद, जय भारत।
इति शुभम भवतु।

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