सादर नमन,
आप सभी को मंगल प्रणाम,
आप सभी पर ईश्वर की कृपा सदैव रहे,इसी भाव के साथ आइए, प्रवाह की धारा में आज लेख प्रस्तुत है।
समय अनुकूल निर्णय लेना, प्रबुद्ध पाठक गण, समय अनुकूल निर्णय लेना भी एक कला है,तत्कालीन परिस्थितियों का सही अवलोकन करते हुए हमें अपना कदम उठाना चाहिए।
पूर्ण सजगता पूर्वक परिस्थितियों का अध्ययन करने के उपरांत लिया गया निर्णय हमें कभी भी निराश नहीं करेगा।
स्वय भी ऐसा करें, वह ऐसी ही प्रेरणा सभी को दें, अच्छी विचार ऊर्जा सभी और फैले, तो संपूर्ण सृष्टि में बदलाव आता ही है,सुंदर वाक्यों का प्रयोग सभी को अपनी ओर आकर्षित करता है, जब वह पूर्ण ह्रदय से कहे गए हो। याद रखें, आप भी हमेशा से जानते हैं, सच क्या है?
पर इसे स्वीकारने का साहस व स्थितियों को समझकर फिर कदम उठाने की जो क्षमता है, वह आप निरंतर अभ्यास से जागृत कर सकते हैं।
जब भी हम कोई निर्णय लें, वह देश,काल व परिस्थिति के अनुसार ही ले, फिर कोई वजह नहीं कि आप आगे ना बढ़ पाए। ह्रदय में नम्रता अवश्य रखें, पर समय आने पर प्रतिकार का साहस भी अवश्य रखें।
याद रखने योग्य बात यह है कि हम अपने कर्तव्य को पूर्ण रूप से करें, सजगतापूर्वक मनोयोग से करें, फिर सब भार परमात्मा पर छोड़ दें, अपना कर्म अवश्य करें, फिर उस कर्म को भी उस परमात्मा को अर्पण कर दें, बस यही एक कार्य विलग है, जो हमें करना चाहिए, उसकी कृपा छाया में करें, वह मार्ग बनाता भी है, मार्ग दिखाता भी है।
दृष्टि बदलें, सृष्टि बदल जाएगी, वह सृष्टिकर्ता सभी को बल देने वाले हैं।
आप सभी को पुनः मंगल प्रणाम, बस अब वाणी को विराम करते हुए आप सभी का मंगल हो ऐसी प्रार्थना हृदय से करता हूं।
विशेष:-परिस्थितियां अनुकूल और प्रतिकूल दोनों ही आती है, प्रतिकूल परिस्थितियां तो हमारा जीवन संवारने के लिए ही आती है, उस ईश्वर की कृपा को सदैव ध्यान रखें, वह अपनी समग्र दृष्टि हम पर रखे हुए हैं, उसकी शरण में रहकर प्रत्येक कार्य करें, हम कार्यभार से मुक्त हो जायेंगे, हम जो भी कार्य कर रहे हैं, वह परमपिता करवा रहा है, हम केवल निमित्त मात्र है।
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