रंगमंच

प्रिय पाठक गण,
सादर नमन,
आप सभी को मंगल प्रणाम, यह दुनिया एक रंगमंच है, और हम सभी कलाकार। निर्देशक भगवान है और हम सब उसकी ही फिल्म के हिस्से हैं। जिसका मुख्य निर्देशक वही है, किसका फिल्म में कौन सा रोल है, वही तय करते हैं। हम सभी को तो अपनी अपनी भूमिका का निर्वाह करना है।
           हम केवल अपनी भूमिका जो हमें दी गई है, उसे ठीक से समझे, तभी हम जीवन को सही मायनों में समझ सकेंगे। यह सारा संसार रंगमंच ही है। हम अपनी भूमिका जितनी अच्छी निभाएंगे, हमारे जीवन की फिल्म उतनी ही हिट रहेगी।
           जिस प्रकार एक कलाकार की सभी फिल्में नहीं चलती है, कुछ सफल व कुछ असफल भी होती है। ऐसा ही कुछ हम सब का जीवन भी है।
          इस रंगमंच पर कई लोग आए और गए,दुनिया उनका ही लोहा मानती है जिन्होंने अपनी भूमिका सही तरीके से निभाई।
       निश्चित ही हम सब के विचार, स्वभाव, सभी भिन्न है, मगर हम सब फिर भी किसी अज्ञात शक्ति से बंधे हैं। वही हमारे इस रंगमंच को चला रही है, वही प्रेरणा भी देती है, तभी हम किसी भी दिशा में सक्रिय होते हैं।
        तो आइए हम अपनी भूमिका का रंगमंच पर बखूबी निर्वाह करें, और सब कुछ उस निर्देशक के हवाले कर दें।हम बेहतर ढंग से अपनी भूमिका निभाएंगे तो हम अपने जीवन में ऊंचाइयों को छू पाएंगे।
       निरंतर चलते रहे, हमारा जीवन भी एक कलाकार का जीवन ही तो है। हमें हर जगह अपनी भूमिका का निर्वहन करना पड़ता है।
       यह रंगमंच है, कौन सी फिल्म हिट रहेगी, कौन सी फ्लाप, हम नहीं जानते। हमारा कार्य तो अपने किरदार को निभाना है।
विशेष:-इस रंगमंच पर जो भी जितना सर्वश्रेष्ठ कलाकार है, उसे उतनी ही महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह करना पड़ता है, ईश्वर इसका निर्देशक है और यह एक प्रक्रिया है  , जो अपने आप घट रही है,ईश्वर नाम के निर्देशक स्वयं अपने मुख्य किरदारों का चयन करते हुए कभी-कभी स्वयं भी मुख्य कलाकार बन कर आते हैं।
      वास्तव में यह दुनिया एक रंगमंच है, जिसमें सभी की अपनी-अपनी भूमिका है।
जय हिंद
जय भारत
आपका अपना
सुनील शर्मा
           

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