सादर नमन,
आप सभी को मंगल प्रणाम,
अगर हमें कोई भी अभिव्यक्ति करना है, कुछ कहना है, तो मातृभाषा ही सर्वश्रेष्ठ है।
हम मातृभाषा में जितने बेहतर तरीके से अपने आप को कह पाते हैं, अपनी बात रख पाते हैं, अन्य भाषाओं में नहीं।
इसका एक कारण हमारे हृदय में इससे जुड़ाव का होना भी है, हमारी मातृभाषा हमारे हृदय के सबसे करीब होती है, हम हमारी भाषा से प्रेम करते हैं।
अब तो हिंदी भाषा में कई अन्य भाषा के शब्द भी हम आसानी से प्रयोग करते हैं, और अगर इससे हिंदी भाषा विस्तार पाती है, तो हमें इससे परहेज नहीं होना चाहिए।
उर्दू, फारसी, इंग्लिश व अन्य भाषाओं के कई शब्द हम हिंदी भाषा में प्रयोग करते हैं, और कई बार तो हमें पता भी नहीं होता। कोई भी माध्यम हो, जो अभिव्यक्ति का माध्यम है, कितने सुंदर ढंग से बात को कहा गया है, वही आपके हृदय को छूता है।
निश्चित ही हम सभी आपसी संवाद में किसी न किसी भाषा का प्रयोग करते ही हैं। चलिए, हम आज यह प्रण करें कि हम हिंदी का पूर्ण प्रयोग भले ही किसी न किसी वजह से ना कर पाते हो ,अधिकतम प्रयोग अवश्य करेंगे।
जो अपनी मातृभाषा से प्रेम नहीं करता, उसका आदर नहीं करता, क्या वह अन्य भाषाओं का आदर कर पाएगा, हर देश की अपनी संस्कृति, भाषा, इतिहास व वैभव होता है, तथा वह अपनी ही भाषा में गौरव पाता है।
आइए,हम सभी हिंदी दिवस पर इसके प्रचार-प्रसार में स्वयं से यह प्रण करें कि हम स्वयं इसका अधिकतम प्रयोग करेंगे, अन्य भाषाओं का बिल्कुल प्रयोग न करना भी नादानी ही कही जाएगी,परंतु हमें अपनी भाषा को सर्वप्रथम अवश्य ही रखना चाहिए, और हमें इस पर गर्व होना चाहिए।
हिंदी जन-जन की भाषा बने व संपूर्ण विश्व में इसका प्रसार हो, यही वजह से मंगल कामना, आप सभी को मेरा यह आलेख कैसा लगा, अवश्य बताएं।
विशेष:-किसी भी भाषा में अपनी अभिव्यक्ति करना बुरा नहीं है, पर जो हम अपनी भाषा में कह पाते हैं, इतने सुंदर ढंग से कह पाते हैं, अपने मनोभावों को प्रकट कर पाते हैं, वह अन्य भाषा के प्रयोग करने पर संभव नहीं।
आपका अपना
सुनील शर्मा
जय भारत
जय हिंद
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