सादर नमन,
आप सभी को मंगल प्रणाम, आशा करता हूं आप सभी को यह साहित्यिक यात्रा पसंद आ रही होगी, मैंने अपनी संपूर्ण कोशिश की है कि अपनी लेखनी से जीवन के सभी पहलुओं पर लिखू, उसी श्रृंखला में इस बार मेरा लेख प्रस्तुत है, जिसका शीर्षक है ,जीवन अमूल्य है।
हमारा जीवन अमूल्य है, इसकी कीमत आंकी नहीं जा सकती, जीवन को हम किस प्रकार जीते हैं, यह हमारी व्यक्तिगत स्वतंत्रता है, पर यह भी सत्य है कि हम स्वयं परिवार व समाज के बंधनों से जुड़े होते हैं।
अपने प्रत्येक दायित्व को खुशी से स्वीकार करें, श्रद्धा पूर्वक अपने प्रत्येक दायित्व का निर्वहन करें, हम में से प्रत्येक का जीवन एक यात्रा है, इसमें कई पड़ाव आते हैं,हम सभी अपने अपने जीवन में उन पड़ा वो का सामना करते हैं, उन सभी पड़ावों को हम कितनी खूबसूरती से पार करते हैं, यही हमारे जीवन में सबसे महत्वपूर्ण है। हमारा जीवन एक बहती धारा की तरह होना चाहिए, जो उस प्रवाह के संपर्क में आए, वह उस धारा का आनंद महसूस करें, हम अपने जीवन में चाहे जितनी चालाकियां कर ले, हम अपने जीवन में सहजता से उतनी ही दूर होते चले जाएंगे।
याद रखें, जीवन में मानवीय मूल्यों से बढ़कर महत्वपूर्ण कुछ भी नहीं है, मानवीय मूल्य जीवन की सबसे महत्वपूर्ण धरोहर है, इन्हीं से हमारा जीवन आलोकित होता है, हमारा जीवन अमूल्य है, हमारा जीवन अमूल्य है, जीवन में संपूर्णता हासिल करना इतना आसान भी नहीं है, लेकिन फिर भी हमारा निरंतर प्रयास यही होना चाहिए, अपने लक्ष्य की और निरंतर चलते रहने और सतत कार्य करते रहने से ही हम सफलता प्राप्त कर सकते हैं, पूर्ण समर्पण भाव से अपने प्रयासों को करते रहे, परिणाम आपके पक्ष में होंगे।
विशेष:-हमारा जीवन अमूल्य है, ईश्वर द्वारा प्रदान की गई अमूल्य निधि है, इसका प्रयोग सावधानी पूर्वक करें, संपूर्ण ईमानदारी व मनोयोग पूर्वक अपने जीवन को जिये, इसी में जीवन की सार्थकता है।
आपका अपना
सुनील शर्मा
जय हिंद,
जय भारत।
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